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चंद्रशेखर तिवारी (जनसत्ता, 05.05.2002) : तरलता की तरफ

Dec 05, 2016 ~ Leave a Comment ~ Written by Oma Sharma

युवा कथाकार ओमा शर्मा के कहानी-संग्रह ‘भविष्यदृष्टा’  की कहानियां अपने समय को ठीक से समझने और संप्रेषित करने वाली कलम से  निकली हैं। जिन्हें हम सपाट ढंग से संबंधों का संकट कहते हैं, उसके कई स्तर होते  हैं और उसका समाज पर खासा गहरा असर होता है, यह बात इन कहानियों को पढ़ते हुए महसूस की जा सकती है। इस संग्रह की ज्यादातर कहानियां उन ‘द्रवों’ को खोजने का यत्न करती दिखाई पड़ती हैं जिनसे संबंधों को तरलता मिलती है। लेखक कहानियों में बहुत हस्तक्षेप नहीं करता। बल्कि इन कहानियों को उसके चरित्र बड़ी सहजता से आगे बढ़ाते हैं। लेखक ने इन चरित्रों को बड़ी संजीदगी से चुना और गढ़ा है। यह बात स्पष्ट दिखाई पड़ती है कि इन कहानियों के चरित्र अपने  ही आसपास का बिखरी हुई दुनिया से लिए गए हैं।

ज्यादातर कहानियां समकालीन सामाजिक यथार्थ के विद्रूपों को सामने रखती हैं। मसलन, एक कहानी है, ‘कंडोलेंस विजिट’। यह कहानी संबंधों में इन दिनों घुसपैठ कर रही व्यावसायिकता को उजागर करती है। जो मौके हार्दिक संवेदना और सहानुभूति के हो सकते  हैं, उनका इस्तेमाल करते हुए भी हमें यह खयाल रहता है कि इस अवसर का हमें लाभ मिल सकता है। ‘काई’ कहानी एक तरह का नॉस्टैल्जिया पैदा करती है। इसके बावजूद संबंधों पर जम रही काई को पहचानना हमारे लिए आसान होता है।

अपने संबंधों को लेकर सबसे ज्यादा आशंकित हमें महानगर करता है। महानगर में होने का मतलब दूसरों के प्रति शक और अविश्वास से भरा होना, और अगर यह सब नहीं तो अजनबी बने रहना जरूर होता है। लेकिन कई बार अनुभव महानगर का एक नया चेहरा भी सामने ले आते हैं। हमें तब समझ में आता है कि मुनष्यता तमाम अमानवीय स्थितियों में भी एक कोना अपने लिए खोज लेती है। ‘मर्ज’  कहानी इसी अहसास की कहानी है। हमारे समय के  अन्य अंतर्विरोधों पर भी ओमा शर्मा की निगाह टिकती है। एक और हमारी विरासत के कई ऐसे तत्व हैं जिनका मोह या जिनके प्रति संस्कारगत लगाव छूटता नहीं और दूसरी ओर वे सच्चाइयां हैं जो मुंह चुराने का अवसर नहीं देती। ‘भविष्यदृष्टा’  का नायक इसी द्वंद्व का प्रतिनिधि है। अपने तमाम ज्योतिष-ज्ञान के बावजूद सतपती अपनी बेटी चंद्रिका की उस कुंडली में ‘एपीलैप्सी’  नहीं देख पाता, जिसमें वह भद्रयोग और राजयोग दोनों देखता है। कहानी के अंत का दृश्य अत्यंत मार्मिक है- ‘सत्तर-बहत्तर वर्ष पूर्व निर्मित एक पचास-साठ मंजिला इमारत को इंग्लैंड में विस्फोट से ध्वस्त करते दिखाया गया था। उसके रखरखाव का खर्चा लागत से भी ज्यादा पड़ रहा था। इमारत गिराने की तरकीब-तकनीक एकदम अद्भुत थी। पूरी इमारत अपने आगे पीछे या दायें-बायें नहीं गिर रही थी बल्कि अपने ही ढांचे में समाये जा रही थी। गोया वह कोई रेतली बिल हो।’

कथा कहने के अंदाज तथा विषय की पकड़ के कारण ‘जनम’  तथा ‘शुभारंभ’  नामक कहानियां पढ़े जाने को मजबूर करती हैं। इनके विषय नए नहीं हैं लेकिन उनकी भाषा एवं प्रस्तुति में अपनी तरह का नयापन है। मानवीय कमजोरियों को आधार बनाकर लिखी गई संग्रह की कहानियां पाठक को कुछ सोचने पर मजबूर जरूर करती हैं। कई अन्य कहानियों में भी लेखक  ने अपने अनुभव-जगत से पाठक का परिचय कराने का प्रयास किया है। एक युवा कथाकार के रूप में ओमा शर्मा की यह शुरुआत उम्मीदें जगाती है।

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Oma sharma, born 1963, is a noted Hindi writer. He has published eight books that include three collections of short stories, namely ‘ Bhavishyadrista’(भविष्यदृष्टा ), ‘Karobaar’(कारोबार) and Dushman Memna(दुश्मन मेमना). Besides, he is widely known in India for re-igniting the interest of all and sundry in the works of noted Austrian legend Stefan Zweig. He has translated the autobiography of Stefan Zweig `The world of yesterday` in Hindi titled ‘Vo Gujra Zamaana’(वो गुजरा जमाना ) as also selected stories of the master in his स्टीफन स्वाइग की कालजयी कहानियाँ(Classic stories of Stefan Zweig) . Adab Se Muthbhed, (अदब से मुठभेड़) his book by way of literary encounters with Legends like Rajendra yadav, Mannoo Bhandari, Priyamvad, Shiv murti and M F Husain has been hugely appreciated for its critical probing.

He has published his travel diaries titled ‘Antaryatrayen :Via Vienna’( अन्तरयात्राएं: वाया वियना ) which records a long, never before attempted kind of essay about Stefan Zweig, Vienna and the cultural aspect of Austria. He is recipient of the prestigious Vijay Verma Katha Sammaan (2006), Spandan Award(2012) and Ramakant Smriti Award(2012) for his short stories.

संपर्क: A-1205, Hubtown Sunstone, Opp MIG cricket club, Bandra east. Mumbai 400051
ईमेल: omasharma40[at]gmail[dot]com

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