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Posts in category Reviews of my books

संवेदन आवेग का अनुवाद : स्टीफन स्वाइग...

Apr 05, 2020 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
बहुत पहले मनोहर श्‍याम जोशी जी ने एक बात पूछी थी मुझसे कि ऐसी कौन-सी रचना है जिसे पढ़कर आपको लगा कि न पढ़ पाता तो एक बड़ी रचना पढ़ने से वंचित रह जाता ? मैंने जवाब जो दिया था उससे वे संतुष्‍ट नहीं थे। यही सवाल उनसे करने पर वे बोले थे – ‘एक तो निराला की ‘राम की शक्ति पूजा’ और हजारीप्रसाद जी की ‘पुनर्नवा’। बरसों गुजर गये यदि आज वे [...]
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देश-विदेश की कतरनें मार्फत ‘अन्तरयात्...

Apr 05, 2020 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
मूलतः अर्थशास्त्र के विद्यार्थी होने के बावजूद ओमा शर्मा समकालीन हिंदी कथा-साहित्य का वह नाम हैं, जिनकी कलम सच्चा, पर पक्का लिखने की स्याही में डूबी हुई है। दो कहानी-संग्रहों व साक्षात्कार, निबंध और अनुवाद की क्रमशः एक-एक किताब लिख चुके शर्मा अपने लेखन के प्रारंभिक दौर में ही अनेक साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। इधर उनका नया यात्रा-स [...]
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देश-विदेश की कतरनें मार्फत ‘अन्तरयात्...

Nov 04, 2018 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
मूलतः अर्थशास्त्र के विद्यार्थी होने के बावजूद ओमा शर्मा समकालीन हिंदी कथा-साहित्य का वह नाम हैं, जिनकी कलम सच्चा, पर पक्का लिखने की स्याही में डूबी हुई है। दो कहानी-संग्रहों व साक्षात्कार, निबंध और अनुवाद की क्रमशः एक-एक किताब लिख चुके शर्मा अपने लेखन के प्रारंभिक दौर में ही अनेक साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। इधर उनका नया यात्रा-सं [...]
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रचनाकार और उसका अंतर्जगत

May 07, 2017 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
प्रकाश चौधरी, समयांतर, जून, 2015 हिंदी साहित्य जगत की चार जानी-मानी हस्तियों के साथ-साथ सुप्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फिदा हुसेन से लेखक ओमा शर्मा के साक्षात्कारों का यह संकलन रचनाकार और उसकी रचनाओं के विभिन्न आयाम-रंग वृत्तों को रचनाकार से सीधे साक्षात्कार के माध्यम से देखने-परखने-समझने की कोशिश, अपनी तरह का और संभवतः पहला प्रयास है। विशेष कालखं [...]
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से. रा. यात्री (पल-प्रतिपल, जून-सितम्...

Dec 05, 2016 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
बहुत कुछ कछुआ गति से ही ‘वो गुजरा जमाना’  पढ़ रहा था। पर न चाहते हुए भी कल रात बारह बजे उसके अंतिम परिच्छेद और आपका आकलन ‘स्टीफन स्वाइगः एक परिप्रेक्ष्य’ को पढ़ गया। वाकई ऐसी महान आत्मकृति जो आत्मावलोकन का अनध उदाहरण हो, को खैरबाद कहना मन में गहरी कसक पैदा करता है। आप भी इस अन्नय रचना से जितने वक्त जुड़े रहकर एक पूरी सदी का विस्तार समेट सके, [...]
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सुधीश पचौरी (अहा! जिंदगी, मार्च, 2005...

Dec 05, 2016 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
आत्मकथा ओमा शर्मा ने ‘वो गुजरा जमाना’ (आधार) अनुदित की है। स्टीफन जर्मन भाषी ऑस्ट्रियाई लेखक रहे। इनकी आत्मकथा अपने समय, समाज का ज्वलंत दस्तावेज कही जाती है। लेख अपने वक्त सभी बड़े स्टीफन स्वाइग की चर्चित लेखकों यथा फ्रायड, गोर्की, रिल्के से भेंट मुलाकात के बहाने पूरे समय समाज के जो चित्र देता है  वे प्रथम विश्व युद्ध से दूसरे विश्व युद्ध के [...]
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विजय कुमार (पल प्रतिपल, जून-सितम्बर, ...

Dec 05, 2016 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
प्रिया भाई ओमा शर्मा जी, फोन करता हूं, घंटी बजती है आप फोन उठाते नहीं। इतनी उतावली में तो मैंने कभी राजेन्द्र यादव या कुन्दन सिंह परिहार या सेवाराम त्रिपाठी को भी फोन नहीं किया। तो सुनिये, आप कथाकार ही नहीं, एक बढ़िया गोताखोर भी हैं। गहर पानी डूबकर आप यह जो मोती लेकर आये हैं- स्टीफन स्वाइग की आत्मकथा ‘वो गुजरा जमाना’, यह विश्व-साहित्य का एक ब [...]
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राजकुमार राकेश( इंडिया टुडे 2005): सृ...

Dec 05, 2016 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
‘वो गुजरा जमाना’ उन  अर्थों में लेखक की आत्मकथा नहीं है जिनमें हम आत्मकथाओं को देखने के आदि हैं। इस पुस्तक की मूल दृष्टि मजलूम राष्ट्रों और निरपराध नागरिकों पर युद्ध थोपने के विरूद्ध संगठित बौद्धिक शक्ति का संचार करके मानवीय सांस्कृतिक मोर्चे के पुनर्जागरण की लेखकीय महत्वाकांक्षा है। बिना युद्ध की घोषणाओं के युद्ध, यातना शिविर, अनवरत उत्पीड़न [...]
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मनोज सिंह (हिं.प्र.)

Dec 05, 2016 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
बुजुर्गों के मुख से ‘हमारे जमाने में ऐसा…’ अक्सर चर्चा में इसी तरह के वाक्य और फिर उनके जमाने का विस्तृत वर्णन सुनने का मिलता है। गुजरे हुए वक्त की बातें करते-करते उनकी आंखों में चमक को बढ़ते हुए देखा जा सकता है। चेहरे पर सुख-दुःख के भावों को चढ़ते उतरते पढ़ जा सकता है। अधिकांशतः बीते हुए कल को, जो वो जी चुके, जो उनका अपना है, बेहतर साबित करन [...]
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मनीषा कुलश्रेष्ठ (पल प्रतिपल, 2005):...

Dec 05, 2016 ~ Written by Oma Sharma ~ Leave a Comment
‘वो गुजरा जमाना’ विश्वसाहित्य की संपदा में एक और बहुमूल्य योगदान है, क्योंकि स्टीफन स्वाइग की यह आत्ममकथा अपने आप में 20वीं सदी के पूर्वाद्ध का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह दस्तावेज है, प्रथम विश्वयुद्ध के पूर्व उनके उत्तरोत्तर पतन का तथा एक लेखक के वैश्विक दृष्टिकोण, रचनात्मकता और निर्वासन का। यह आत्मवृत्त अपने समय के सामाजिक, सांस्कृतिक, आ [...]
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Oma sharma, born 1963, is a noted Hindi writer. He has published eight books that include three collections of short stories, namely ‘ Bhavishyadrista’(भविष्यदृष्टा ), ‘Karobaar’(कारोबार) and Dushman Memna(दुश्मन मेमना). Besides, he is widely known in India for re-igniting the interest of all and sundry in the works of noted Austrian legend Stefan Zweig. He has translated the autobiography of Stefan Zweig `The world of yesterday` in Hindi titled ‘Vo Gujra Zamaana’(वो गुजरा जमाना ) as also selected stories of the master in his स्टीफन स्वाइग की कालजयी कहानियाँ(Classic stories of Stefan Zweig) . Adab Se Muthbhed, (अदब से मुठभेड़) his book by way of literary encounters with Legends like Rajendra yadav, Mannoo Bhandari, Priyamvad, Shiv murti and M F Husain has been hugely appreciated for its critical probing.

He has published his travel diaries titled ‘Antaryatrayen :Via Vienna’( अन्तरयात्राएं: वाया वियना ) which records a long, never before attempted kind of essay about Stefan Zweig, Vienna and the cultural aspect of Austria. He is recipient of the prestigious Vijay Verma Katha Sammaan (2006), Spandan Award(2012) and Ramakant Smriti Award(2012) for his short stories.

संपर्क: A-1205, Hubtown Sunstone, Opp MIG cricket club, Bandra east. Mumbai 400051
ईमेल: omasharma40[at]gmail[dot]com

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अन्तरयात्राएं वाया वियना 20160516_145032-1 अदब से मुठभेड़

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